आईआईटी में कुल बी.टेक सीटें बनाम जेईई एडवांस्ड क्वालीफायर्स: क्या आईआईटी में सीटों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है?
2025 के जेईई एडवांस्ड एग्जाम में 54,000 से अधिक उम्मीदवार पास हुए, लेकिन IIT में केवल लगभग 18,000 बी.टेक सीटें ही उपलब्ध थीं। यह लेख IIT में कुल सीटों और जेईई एडवांस्ड एग्जाम में पास होने वाले उम्मीदवारों की कुल संख्या की तुलना करता है और बताता है कि क्या IIT सीटों में वृद्धि करना आवश्यक हो गया है।
आईआईटी में कुल बी.टेक सीटें बनाम जेईई एडवांस्ड क्वालीफायर्स (Total B.Tech Seats in IITs vs JEE Advanced Qualifiers): जेईई एडवांस्ड एग्जाम पास करना एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक उपलब्धि मानी जाती है, क्योंकि यह पूरे देश से बेस्ट इंजीनियरिंग प्रतिभाओं को छांटता है और भारत के सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों - IITs में एडमिशन के लिए फाइनल फ़िल्टर के रूप में काम करता है!
पिछले वर्ष 2025 में, कुल 180,422 उम्मीदवारों ने जेईई एडवांस्ड के दोनों पेपरों में भाग लिया, और इनमें से 54,378 उम्मीदवार पास हुए। ये क्वालिफाइड छात्र भारत में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में टॉप प्रदर्शन करने वाले उम्मीदवारों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिन्होंने दुनिया की सबसे कठिन एंट्रेंस एग्जाम में से एक को सफलतापूर्वक पूरा किया है। हालांकि, जेईई एडवांस्ड क्वालिफाइड होने का मतलब यह नहीं है कि IIT में एडमिशन मिल ही जाएगा।
2026-27 के शैक्षणिक सत्र के लिए, सभी 23 IITs में B.Tech के लिए कुल एडमिशन क्षमता 18,160 सीटें हैं। जब इस संख्या की तुलना कुल जेईई एडवांस्ड उत्तीर्ण उम्मीदवारों से की जाती है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि योग्य उम्मीदवारों में से केवल लगभग 33.4% ही IIT में सीट हासिल कर सके।
पिछले वर्ष में ऑफिशियल सीट अलॉटमेंट नंबर के अनुसार, कुल 18,188 सीटें भरी गईं, जो दिव्यांगजनों और महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित अतिरिक्त सीटों के कारण स्वीकृत सीटों से थोड़ी अधिक है। इसके बावजूद, 36,000 से अधिक योग्य उम्मीदवारों को आईआईटी में सीट नहीं मिल सकी।
जेईई एडवांस्ड को क्वालीफाई करने वाले छात्रों की संख्या और वास्तव में आईआईटी में एडमिशन पाने वाले छात्रों की संख्या के बीच बढ़ता अंतर एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है:
क्या आईआईटी में वर्तमान बी.टेक सीटें पर्याप्त हैं, या उन्हें बढ़ाने का समय आ गया है?
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वर्ष 2026-27 में एडमिशन के लिए आईआईटी में बी.टेक की कुल सीटें (Total B.Tech Seats in IITs for 2026-27 Admission)
नीचे दी गई टेबल से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि बी.टेक के लिए आईआईटी में सीटें पुराने और नए आईआईटी में किस प्रकार वितरित हैं। पुराने आईआईटी में एडमिशन रेट अपेक्षाकृत अधिक है, जबकि कई नए आईआईटी में अभी भी सीमित सीटें हैं।
इंस्टीट्यूट कोड | इंस्टीट्यूशन का नाम | टोटल सीट |
|---|---|---|
101 | आईआईटी भुवनेश्वर | 496 |
102 | आईआईटी बॉम्बे | 1360 |
103 | आईआईटी मंडी | 520 |
104 | आईआईटी दिल्ली | 1239 |
105 | आईआईटी इंदौर | 480 |
106 | आईआईटी खड़गपुर | 1919 |
107 | आईआईटी हैदराबाद | 630 |
108 | आईआईटी जोधपुर | 610 |
109 | आईआईटी कानपुर | 1210 |
110 | आईआईटी मद्रास | 1121 |
111 | आईआईटी गांधीनगर | 360 |
112 | आईआईटी पटना | 817 |
113 | आईआईटी रुड़की | 1353 |
114 | आईआईटी (ISM) धनबाद | 1210 |
115 | आईआईटी रोपड़ | 646 |
116 | आईआईटी (BHU) वाराणसी | 1589 |
117 | आईआईटी गुवाहाटी | 962 |
118 | आईआईटी भिलाई | 329 |
119 | आईआईटी गोवा | 165 |
120 | आईआईटी पलक्कड़ | 200 |
121 | आईआईटी तिरुपति | 254 |
122 | आईआईटी जम्मू | 305 |
123 | आईआईटी धारवाड़ | 385 |
टोटल | 18160 | |
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जेईई एडवांस्ड क्वालीफायर (JEE Advanced Qualifiers): पिछले वर्ष का आंकड़ा
यह आंकड़े इस बात को उजागर करते हैं कि जेईई एडवांस्ड कितना कॉम्पीटीशन हो गया है और कैसे बड़ी संख्या में उम्मीदवार एग्जाम क्वालीफाई कर लेते हैं लेकिन फिर भी IIT में एडमिशन नहीं पा पाते हैं।
क्लास | PwD स्टेटस | रजिस्टर्ड | दोनों पेपर में उपस्थित छात्र | क्वालिफाइड छात्र |
|---|---|---|---|---|
जनरल | नहीं | 40,213 | 39,000 | 17,273 |
हाँ | 989 | 902 | 238 | |
ओबीसी-एनसीएल | नहीं | 69,085 | 66,525 | 12,606 |
हाँ | 1,063 | 988 | 216 | |
जनरल-ईडब्ल्यूएस | नहीं | 29,631 | 28,871 | 6,414 |
हाँ | 308 | 298 | 86 | |
अनुसूचित जाति (SC) | नहीं | 30,929 | 29,577 | 12,499 |
हाँ | 201 | 188 | 29 | |
अनुसूचित जनजाति (ST) | नहीं | 14,732 | 14,010 | 5,008 |
हाँ | 72 | 63 | 9 | |
टोटल | 187,223 | 180,422 | 54,378 | |
आईआईटी में आवंटित कुल सीटें (Total Seats Allotted in IITs)
टेबल में विभिन्न श्रेणियों में क्वालिफिकेशन प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को अलॉटेड टोटल सीटें दर्शाई गई हैं। अतिरिक्त सीटों को जोड़ने के बाद भी, एडमिशन पाने वाले छात्रों की संख्या, जेईई एडवांस्ड के लिए क्वालिफाइड उम्मीदवारों की कुल संख्या से काफी कम है।
क्लास | अलॉटेड मेल | अलॉटेड फीमेल | टोटल अलॉटेड |
|---|---|---|---|
ओपन | 5724 | 1394 | 7118 |
जनरल-ईडब्ल्यूएस | 1567 | 441 | 2008 |
अन्य पिछड़ा वर्ग-एनसीएल (OBC-NCL) | 3954 | 1011 | 4965 |
अनुसूचित जाति (SC) | 2185 | 545 | 2730 |
अनुसूचित जनजाति (ST) | 1094 | 273 | 1367 |
टोटल | 14524 | 3664 | 18188 |
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अंतिम निर्णय: क्या आईआईटी में सीटों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है? (Final Verdict: Is there a need to Increase Seats in IITs?)
जी हां, आईआईटी में बी.टेक की सीटों को बढ़ाने की सख़्त और स्पष्ट आवश्यकता है। आंकड़े इस बात में कोई संदेह नहीं छोड़ते। 2025 के सर्वेक्षण में, योग्य उम्मीदवारों में से केवल एक तिहाई (54,378 में से 18,188) को ही आईआईटी में बी.टेक की सीट मिल पाई। इसका मतलब है कि 36,000 से अधिक प्रतिभाशाली छात्र वंचित रह गए, न कि इसलिए कि उनमें योग्यता की कमी थी, बल्कि इसलिए कि पर्याप्त सीटें उपलब्ध नहीं थीं।
यह अंतर रातोंरात नहीं आया। जागरूकता, कोचिंग की उपलब्धता और प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ-साथ हर साल अधिक छात्र जेईई एडवांस्ड क्वालीफाई कर रहे हैं लेकिन IIT सीटों की संख्या में उसी गति से वृद्धि नहीं हुई है। अतिरिक्त केटेगरी-स्पेसिफिक सीट को जोड़ने के बाद भी, IIT अपने द्वारा योग्य घोषित किए गए छात्रों में से 35% से भी कम को एडमिशन दे पा रहे हैं।
निष्पक्षता की दृष्टि से, IIT की सीटों में वृद्धि से उन छात्रों के बीच अत्यधिक दबाव और प्रतिस्पर्धा को कम किया जा सकता है, जिन्हें एडमिशन पाने के लिए कुछ मार्क्स के अंतर से ही सिलेक्शन प्रोसेस तय हो जाती है। इससे जेंडर डाइवर्सिटी में भी बढ़ावा हो सकता है, क्योंकि वर्तमान में आवंटित सीटों में से केवल लगभग 20% सीटें ही महिला उम्मीदवारों द्वारा भरी जाती हैं।
साथ ही, विस्तार में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। पर्याप्त फैकल्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर, हॉस्टल और शैक्षणिक सहायता के बिना सीटों की संख्या बढ़ाने से गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। हालांकि, चरणबद्ध और नियंत्रित एक्सपेंशन, विशेष रूप से नए IIT में जहां अभी भी विकास की गुंजाइश है, व्यावहारिक रूप से अधिक उपयुक्त है।
उचित योजना के साथ, अगले 3-5 वर्षों में IIT में B.Tech की सीटों को बढ़ाकर लगभग 22,000-25,000 करना व्यावहारिक और आवश्यक दोनों है, और इससे IIT ब्रांड से जुड़े ऐकडेमिक स्टैंडर्ड्स में कोई कमी नहीं आएगी।
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