दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi): दशहरा पर 10, 100, 150, 200, 500 शब्दों में निबंध

Munna Kumar

Updated On: October 17, 2023 11:41 am IST

दशहरा हिन्दू धर्म के लोगों का प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो हर साल सितंबर-अक्टूबर यानी आश्विन माह में मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। यहां हम स्कूली बच्चों के लिए दशहरा पर निबंध लिखने के बारे में बता रहे हैं, जिससे छात्रों को अपने स्कूल प्रोजेक्ट में मदद मिलेगी। 
दशहरा पर हिंदी में निबंध

दशहरा पर हिंदी में निबंध (Essay on Dussehra in Hindi): दशहरा हिन्दू धर्म के लोगों का प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो हर साल सितंबर-अक्टूबर या हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन माह में मनाया जाता है। इस साल यानी 2024 में यह पर्व 15 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक मनाया जा रहा है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। इस त्योहार को लेकर देश के अलग-अलग भागों में अलग-अलग कहानियां है, हालांकि सभी कहानियों का सार अच्छाई पर बुराई की जीत का ही है। जैसे उत्तर भारत जैसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान में दशहरा भगवान राम का रावण पर जीत और अयोध्या वापसी की कहानी बताती है। वहीं बिहार, बंगाल, ओडिशा, झारखंड समेत दक्षिण भारत में दशहरा पर मां दुर्गा के नौ रूपों की नौ दिनों तक पूजा की जाती है और दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। इस दिन मां दुर्गा का असुरों पर विजय प्राप्ति के रूप में मनाया जाता है। दशहरा पर एक चीज जो कॉमन है वो है बुराई पर अच्छाई की जीत। इस दिन देश के कई भागों में बुराई का प्रतिक रावण का पुतला भी जलाया जाता है साथ ही गांवों और शहरों में मेले का आयोजन भी किया जाता है। रामायण महाकाव्य के मुताबिक इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था, इसलिए ये त्योहार राक्षस रावण पर भगवान श्री राम की जीत का भी प्रतीक है।

यहां इस लेख में हम बच्चों के लिए दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के बारे में बता रहे हैं, साथ ही कुछ उदाहरण भी दे रहे हैं, जिसकी मदद से छात्र अपने तरीके से दशहरा पर लेख लिख सकें। 

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प्रस्तावना (Preface)

दशहरा दिवाली से ठीक 20 दिन पहले आता है। विजयदशमी का यह त्योहार आमतौर पर पूरे भारत में प्रत्येक वर्ष सितंबर से अक्टूबर के आसपास मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार दशहरा आश्विन मास में मनाया जाता है। साल 2023 में विजयदशमी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत को प्रदर्शित करता है। अलग-अलग प्रांतों के लोग इस त्योहार को अलग-अलग रीति-रिवाज से मनाते हैं। शायद इसी कारण भारत को विविधताओं का देश भी कहा जाता है। धार्मिक लोग जो इस दिन पूजा-पाठ करते हैं, पूरे दिन व्रत रखते हैं। दशहरा जिसे शारदीय नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। कई लोग मां के नौ रूपों की पूजा करते हैं और पूरे नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। हालांकि कुछ लोग इसमें पहले और आखिरी दिन व्रत रखते हैं। इस साल (2023) शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 दिन रविवार से हो रही है। मां दुर्गा को समर्पित यह पर्व 15 अक्तूबर से शुरू होकर 23 अक्तूबर 2023 दिन मंगलवार तक चलेगा, वहीं 24 अक्टूबर बुधवार को विजयादशमी यानी दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।

आयोजन (Events)

श्री राम द्वारा रावण का वध (Slaying of Ravana by Lord Shri Ram)

देश के सभी राज्यों में दशहरा मनाने का रीति-रिवाज और परंपरा अलग-अलग है। कई राज्यों में पूरे दस दिन के लिए मनाया जाता है, तो कई जगहों पर 7 दिनों के लिए रामलीला का आयोजन किया जाता है। कई शहरों में रामलीला का आयोजन होता तो कई शहरों में मां दुर्गा के नौ रूपों की अलग-अलग विधि से पूजा की जाती है। राम लीला पौराणिक महाकाव्य, रामायण का एक लोकप्रिय भाग है। इसके पीछे की कहानी है कि जब लक्ष्मण जी ने रावण की बहन शूर्पणखा का नाक काट दी थी, जिसका बदला लेने के लिए रावण माता सीता का हरण कर लेता है और माता सीता को बंधन से आजाद करवाने के लिए हुए युद्ध में विजयदशमी के दिन भगवान श्री राम रावण का वध करते हैं। इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत/असत्य पर सत्य की जीत का पर्व भी कहा जाता है। 

दशहरा और दुर्गा पूजा (Dussehra and Durga Puja)

दशहरा और दुर्गा पूजा वैसे तो एक ही है, पहले नौ दिनों को दुर्गा पूजा के रूप में मनाते हैं, तो आखिरी के दसवें दिन को दशहरा कहा जाता है। दोनों बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दशहरा भगवान राम की जीत का जश्न मनाने का पर्व है। दुर्गा पूजा उस दिन से शुरू होता है जब मां दुर्गा नौ दिनों तक अलग-अलग रूप में महिषासुर से युद्ध करती हैं और दसवें दिन इस भयंकर युद्ध में दुष्ट राक्षस महिषासुर का वध करती हैं। किंवदंती है कि युद्ध में जाने से पहले भगवान श्री राम ने भी शक्ति और वीरता के लिए मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की थी।

निष्कर्ष (Conclusion)

दशहरा न केवल हिंदू आस्था और विश्वास का अभिन्न अंग है, बल्कि यह सत्य की हमेशा जीत के भारतीय दर्शन पर भी जोर देता है।
दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है। यह त्यौहार हिंदू धर्म के बहुत ही मूल दर्शन को दर्शाता है, जो सत्य और धार्मिकता का शाश्वत प्रसार है। भगवान श्री राम ने रावण का अंत कर बुराई पर विजय प्राप्त की और मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर बुराई का अंत किया। बुराई के सामने सत्य कितना भी छोटा क्यों न हो, उसे दबाया नहीं जा सकता और हमेशा विजयी होता है। नौ दिन देवी मां की पूजा अर्चना के बाद विजयादशमी यानी दशहरा आता है। इस दिन सबके घरों में पकवान आदि बनाए जाते हैं।
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दशहरा पर 200 शब्दों में निबंध (Essay on Dussehra in 200 words in Hindi)

दशहरा भारत में सबसे प्रसिद्ध और सभी देश के भागों में मनाया जाने वाला त्योहार है। दशहरा पर जगह-जगह मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके अलावा रामलीला का मंचन किया जाता है। देश के अलग-अलग शहरों में अलग-अलग तरीके से दशहरा मनाया जाता है। जैसे दशहरा पर दिल्ली के रामलीला मैदान का रामलीला देखने हजारों की संख्या में लोग आते हैं, वैसे ही दक्षिण भारत के शहर मैसूर में दशहरा का अलग ही रौनक देखने को मिलती है। दशहरा पर शहरों और गांवों में बड़े-बड़े पंडाल बनाए जाते हैं। बंगाल में दशहरा पर पंडालों का बड़ा महत्व है। देशभर में बने पंडालों और उसके आसपास की सड़कों को चमकदार रोशनी से सजाया जाता है और लाउडस्पीकरों पर मां दुर्गा की भक्ति में गाने बजाए जाते हैं। नवरात्रि के दस दिनों के दौरान सड़क के किनारे तरह-तरह के स्वादिष्ट स्ट्रीट फूड विक्रेताओं का मेला लगा होता है। दशहरा पर जगह-जगह कई आयोजन किए जाते हैं। जिसमें मेला भी होता है। मेला व्यापारियों के लिए लाभ कमाने का एक मौका होता है। इसलिए दशहरा का धार्मिक के साथ-साथ व्यापारिक महत्व भी है। इस दिन, घरों में मिठाइयां बनाई जाती है और बांटी जाती है। बच्चे त्योहार के दौरान सबसे अधिक उत्साहित होते हैं, क्योंकि उन्हें सुंदर और नए कपड़े पहनाए जाते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशहरा भगवान श्री राम की रावण पर विजय और लंका से अयोध्या वापसी का प्रतिक है। भगवान श्री राम ने दशहरा के दिन ही रावण रूपी राक्षस का वध किए थे। तभी से भारत भर में दशहरा मनाया जाता है। एक और धार्मिक मान्यता के अनुसार मां दुर्गा ने इसी दिन महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इन दोनों मान्यताओं को बुराई पर अच्छाई का विजय का प्रतिक माना जाता है। एक और किंवदंती है कि पश्चिम बंगाल के लोग मानते हैं कि मां दुर्गा, जो पृथ्वी पर अपने पिता के घर जाने के लिए आई थीं, पांच दिनों के बाद, यानी दशमी या दशहरा के दिन चली जाती हैं। तो सभी खुश हो जाते हैं और मां दुर्गा को विदा करते हुए अगले साल फिर आने को कहते हैं।

दशहरा पर 500+ शब्दों में निबंध (Essay on Dussehra in 500+ words) 

दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसके अलावा, यह सबसे लंबे त्योहारों में से एक भी है। पूरे देश में लोग दशहरा बड़े उत्साह और प्रेम के साथ मनाते हैं। यह सभी के लिए खुशी मनाने का समय होता है। इस त्योहार का भरपूर आनंद लेने के लिए छात्रों को अपने स्कूलों और कॉलेजों से दस दिनों की लंबी छुट्टियां मिलती हैं।

दशहरा दिवाली से तीन सप्ताह पहले या ठीक 20 दिन पहले पड़ता है। इस प्रकार, यह आमतौर पर सितंबर से अक्टूबर के आसपास पड़ता है। इस त्योहार का हर कोई बेसब्री से इंतजार करता है। यह सभी के लिए खुशी का बड़ा कारण लेकर आता है। यह समय ग्रामीण क्षोत्रों में किसानों के आराम का समय होता है, क्योंकि इस समय सभी फसलें खेतों पकने के कगार पर होती है, उसे ज्यादा देख-रेख की जरूरत नहीं होती है। 

बुराई पर अच्छाई की जीत
भारत के कुछ क्षेत्रों में दशहरा को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार बुराई की शक्ति पर अच्छाई की शक्ति की जीत का प्रतीक है। हिंदू पौराणिक कथाओं पर नजर डालें तो कहा जाता है कि इस दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसी तरह, अन्य परंपराओं का मानना ​​है कि भगवान राम ने इसी दिन राक्षस राजा रावण से युद्ध किया था और उसका अंत किया था।

दशहरा उत्सव
पूरे भारत में लोग दशहरा को अत्यधिक उत्साह और धूमधाम के साथ मनाते हैं। विभिन्न संस्कृतियां त्योहार के उत्सव को प्रभावित नहीं करती हैं। पूरे त्योहार के दौरान भावना और उत्साह एक समान रहता है।

इसके अलावा, दशहरा राक्षस रावण पर भगवान राम की जीत का प्रतीक है। इस प्रकार, लोग दस दिनों तक उनके बीच हुई लड़ाई का अभिनय करते हैं। इस नाटकीय रूप को राम-लीला कहा जाता है। उत्तर भारत में लोग मुखौटे पहनकर और विभिन्न नृत्य रूपों के माध्यम से राम-लीला का अभिनय करते हैं।

इसके बाद, रामायण का अनुसरण करते हुए, वे रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे तीन प्रमुख राक्षसों के विशाल आकार के पेपरबोर्ड पुतले बनाते हैं। फिर उन्हें जलाने के लिए विस्फोटकों से भर दिया जाता है। एक व्यक्ति भगवान राम की भूमिका निभाता है और पुतलों को जलाने के लिए उन पर तीर चलाता है। लोग आमतौर पर एक मुख्य अतिथि को भगवान राम के रूप में अभिनय करने के लिए आमंत्रित करते हैं और उस पुतले को जला देते हैं। यह आयोजन खुले मैदान में हजारों दर्शकों के साथ किया जाता है।

हर उम्र के लोग इस मेले का आनंद उठाते हैं। वे आतिशबाजी देखते हैं और आश्चर्यजनक दृश्यों से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इस कार्यक्रम का बच्चे सबसे ज्यादा इंतजार करते हैं और अपने माता-पिता से उन्हें पटाखे दिखाने ले जाने की जिद करते हैं।

निष्कर्ष
दशहरे का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। हालांकि, सभी धर्मों के लोग रावण दहन के अद्भुत कृत्य के साक्षी बनते हैं। यह लोगों को एकजुट करता है क्योंकि दर्शक केवल हिंदू धर्म ही नहीं, बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों से भरे होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात, दशहरा हमें सिखाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर विजय पाती है और प्रकाश हमेशा अंधेरे पर विजय प्राप्त करेगा।

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