सरदार वल्लभभाई पटेल पर हिंदी में निबंध (Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi): 100 से 700 शब्दों में निबधं लिखना सीखें

Munna Kumar

Updated On: August 19, 2025 05:40 PM

सरदार वल्लभभाई पटेल एक महान नेता थे। साथ ही सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले गृहमत्री थे। इस लेख में आप सरदार वल्लभभाई पटेल पर हिंदी में निबंध (Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi) लिखन सिख सकते हैं। 
सरदार वल्लभभाई पटेल पर हिंदी में निबंध (Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi)

जब भी सरदार वल्लभ भाई पटेल पर हिंदी में निबंध (Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi) लिखने की बारी आती है, हम उनके सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी (Biography of Sardar Vallabhbhai Patel) के बारे में बताते हैं। हम निबंध में सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म स्थान (Birth place of Sardar Vallabhbhai Patel) के साथ सरदार वल्लभ भाई पटेल की शिक्षा-दीक्षा (Education of Sardar Vallabhbhai Patel), सरदार वल्लभ भाई पटेल का स्वतंत्रता आंदोनल में भूमिका (Sardar Vallabhbhai Patel's role in the freedom movement) के साथ आजाद भारत में सरदार वल्लभ भाई पटेल के योगदान (Contribution of Sardar Vallabhbhai Patel in independent India in Hindi) के बारे में बताते हैं। आप इस लेख में सरदार वल्लभ भाई पटेल पर हिंदी में निबंध 100 शब्दों, 200 शब्दों तथा 500 शब्दों में लिखना सिख सकते हैं।

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सरदार वल्लभ भाई पटेल पर 200 शब्दों में निबंध (Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in 200 words in Hindi)

सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel) का नाम देश के महान नेताओं में गिना जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को एक किसान परिवार में हुआ था। सरदार वल्लभभाई पटेल ने महात्मा गांधी के साथ मिलकर कई बड़े-बड़े आंदोलन चलाए और इन दोनों की मेहनत की वजह से भारत छोड़ो (Quit India Movement) जैसा आंदोलन सफल भी हुआ। सरदार वल्लभ भाई पटेल को स्वतंत्रता सेनानी (Sardar Vallabhbhai Patel Freedom Fighter) भी कहा जाता है, क्योंकि भारत की स्वतंत्रता में सरदार वल्लभ भाई पटेल की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपने जीवन में गांधी जी को गुरु के ऊपर मानते थे और कोई भी बात कभी नहीं टालते थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने स्वतंत्रता के बाद भारत एकीकरण आंदोलन में अपना सहयोग दिया और भारत के एकीकरण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ये तो सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में संक्षिप्त जानकारी (Brief Information About Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi) है, यहां हम इस आर्टिकल में सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध (Essay on Sardar Vallabhbhai Patel) लिखना बता रहे हैं, जिसकी मदद से छात्र सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध (Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi) लिख सकते हैं।

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सरदार वल्लभ भाई पटेल पर 500 शब्दों में निबंध (Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in 500 words in Hindi)

सरदार वल्लभभाई पटेल: एक लौह पुरुष

सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धाओं में अग्रणी है। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाड में हुआ था। उनका पूरा नाम वल्लभभाई झावेरभाई पटेल था, लेकिन लोग उन्हें 'सरदार' के नाम से अधिक जानते हैं। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और नेतृत्व क्षमता के कारण उन्हें 'लौह पुरुष' कहा जाता है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

वल्लभभाई पटेल का प्रारंभिक जीवन संघर्षपूर्ण था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय विद्यालय में प्राप्त की और बाद में कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड गए। इंग्लैंड से बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त कर उन्होंने भारत लौटकर वकालत शुरू की। उनकी वकालत में सफलता के कारण वे जल्द ही गुजरात के प्रमुख वकीलों में गिने जाने लगे।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

वल्लभभाई पटेल का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान अविस्मरणीय है। वे महात्मा गांधी के अनुयायी बने और उनके सत्याग्रह आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया। खेड़ा सत्याग्रह (Kheda Satyagraha) और बारदोली सत्याग्रह (Bardoli Satyagraha) में उनकी भूमिका ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। बारदोली सत्याग्रह के बाद ही उन्हें 'सरदार' की उपाधि मिली।

भारत की एकता और अखंडता

स्वतंत्रता के बाद, भारत विभाजन और विभिन्न रियासतों के विलय की समस्याओं का सामना कर रहा था। सरदार पटेल ने अपनी कूटनीति और दृढ़ता से 562 रियासतों का भारतीय संघ में विलय किया। इस कार्य के लिए उन्होंने जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर जैसे महत्वपूर्ण रियासतों के नवाबों और राजाओं से बातचीत की और उन्हें भारतीय संघ में शामिल होने के लिए राजी किया। उनकी इस महान उपलब्धि ने उन्हें भारत का 'लौह पुरुष' बना दिया।

योगदान और विरासत

सरदार पटेल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक ढांचे को सुदृढ़ बनाने के लिए कई सुधार किए। उनकी नीति और योजना ने भारत को एक सशक्त और संगठित राष्ट्र के रूप में उभरने में मदद की।

वल्लभभाई पटेल का निधन 15 दिसंबर 1950 को हुआ, लेकिन उनके कार्यों और योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके सम्मान में 31 अक्टूबर को 'राष्ट्रीय एकता दिवस' के रूप में मनाया जाता है। 2018 में उनके सम्मान में 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' (Statue of Unity) का निर्माण किया गया, जो विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है।

निष्कर्ष

सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन और कार्य हमें सिखाता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और सही नेतृत्व से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। उनकी देशभक्ति, कूटनीति और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें भारतीय इतिहास में अमर बना दिया है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और देश की एकता के लिए उनका योगदान अनमोल है, और वे सदैव हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।

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सरदार वल्लभ भाई पटेल पर 750 शब्दों में निबंध (Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in 750 words in Hindi)

प्रस्तावना

सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है। उन्हें भारत के एक बहुत ही मजबूत और गतिशील स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय योगदान दिया था। सरदार पटेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रतिष्ठित और प्रमुख नेताओं में से एक थे। हमारे देश को आजादी दिलाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद गांव में लेउवा पटेल पाटीदार समुदाय में हुआ था। उनका पूरा नाम वल्लभभाई झावेरभाई पटेल है और उन्हें सरदार पटेल के नाम से जाना जाता है। सरदार पटेल के पिता, ज़ेवरभाई पटेल, झांसी की रानी की सेना में कार्यरत थे और मां लाडबाई का झुकाव आध्यात्मिकता की ओर था। पटेल बचपन से ही बहुत साहसी स्वभाव के थे।

एक ऐसा उदाहरण था जब उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के गर्म लोहे की छड़ से एक दर्दनाक फोड़े का इलाज किया था। 22 साल की उम्र में, जब हर कोई अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करता है, सरदार पटेल ने अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की और इस वजह से सभी ने सोचा कि वह साधारण नौकरियां करेंगे।

अपनी मैट्रिकुलेशन पूरी करने के बाद, सरदार पटेल ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और लॉ में ग्रेजुएट हुए और बाद में बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड की यात्रा की। भारत लौटने के बाद उन्होंने अहमदाबाद, गुजरात में कानून का अभ्यास जारी रखा।

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भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान
अक्टूबर 1917 में महात्मा गांधी के साथ एक मुलाकात ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के करीब ला दिया। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और उनका प्रारंभिक आंदोलन ब्रिटिश अत्याचारों के खिलाफ गुजरात में सत्याग्रह से शुरू हुआ। बाद में उन्होंने गांधीजी के साथ मिलकर 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) में सक्रिय रूप से भाग लिया और स्वेच्छा से काम किया।

भारत के स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान भारत के लोगों को एकजुट करने में पटेल का बहुत मजबूत योगदान था। इस दौरान उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। देशभक्ति की भावना और अंग्रेजों को भारतीय क्षेत्र से बाहर निकालने की ललक उनका पहला और एकमात्र उद्देश्य बन गया।

सरदार पटेल - भारत के लौह पुरुष
उनका जीवन प्रेरणादायक और प्रेरक रहा है। सबसे पहले, उन्होंने दूसरों के बहुत कम समर्थन के साथ अपने पेशेवर लक्ष्य हासिल किए और उसके बाद देश की आजादी के लिए लड़ने के लिए भारत के लोगों को एक साथ लाने में एक प्रमुख निर्णायक भूमिका निभाई। विविधता में एकता के सिद्धांत में उनके विश्वास और भारत की स्वतंत्रता के सामान्य उद्देश्य के लिए एकजुट होने ने उन्हें भारत का लौह पुरुष बना दिया। उनके नेतृत्व गुणों और जनता से जुड़ने की क्षमता के कारण उन्हें सरदार पटेल की उपाधि दी गई, जिसका अर्थ है नेता पटेल।

भारत की आज़ादी के बाद का जीवन
आजादी के बाद उन्होंने भारत के एकीकरण में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने दूर-दराज के इलाकों और सीमावर्ती क्षेत्रों की यात्रा करके रियासतों के शासकों को एकजुट होने और एक भारत - एक राष्ट्र का हिस्सा बनने के लिए राजी किया। प्रारंभ में, स्वतंत्रता के बाद, उन्हें भारत के प्रथम गृह मंत्री और साथ ही भारतीय सशस्त्र बलों के प्रमुख कमांडर के रूप में नियुक्त किया गया था।

बाद में वह भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री भी बने। वह उन तीन नेताओं में से एक हैं जिन्होंने 1947 से 1950 तक भारत का नेतृत्व किया। सरदार पटेल 1950 की गर्मियों से तेजी से अस्वस्थ रहने लगे और 15 दिसंबर 1950 को बंबई के बिड़ला हाउस में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।

निष्कर्ष
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सरदार पटेल का योगदान उल्लेखनीय और अतुलनीय रहा है। वह न केवल स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बल्कि वर्तमान समय में भी राष्ट्र के युवाओं के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत थे। उन्हें सच्चे अर्थों में स्व-निर्मित व्यक्ति कहा जा रहा है। एकीकरण की उनकी विचारधारा ने एकता की नींव रखी है। उन्हें 1991 में मरणोपरांत भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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सरदार पटेल पर 10 लाइन्स हिंदी में (10 lines on Sardar Patel in Hindi)

1. सरदार वल्लभभाई पटेल: मुक्तिसेना के नेता और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य थे।
2. भारतीय संघ के सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में उनका कार्य भी अत्यंत महत्वपूर्ण था।
3. उन्होंने भारतीय संघ के 15वें संसदीय चुनाव में सदस्यता भी दावेदारी की थी।
4. सरदार पटेल को "भारतीय राष्ट्रीय एकीकरण के लौह पुरुष" के रूप में भी जाना जाता है।
5. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में गिरोहों और दलों के एकीकरण का काम किया।
6. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, सरदार पटेल ने विभाजन के बाद की समस्याओं को हल करने में मदद की।
7. उन्होंने भारतीय संघ के नेताओं के संगठनात्मक कार्य में भी अहम योगदान दिया।
8. सरदार पटेल ने भारतीय संघ के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था।
9. उन्होंने भारतीय संघ के विचारधारा में एकीकरण के लिए अपना सबसे बड़ा प्रयास किया।
10. सरदार पटेल ने भारतीय संघ के तहत राष्ट्रीय एकीकरण के लिए एक व्यापक योजना तैयार की थी, जिसने देश को एकीकृत बनाने में मदद की।

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FAQs

सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत रत्न कब मिला था?

सरदार पटेल को 1991 में मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

सरदार पटेल का मुख्य गुण क्या है?

सरदार वल्लभभाई पटेल अपने असाधारण नेतृत्व गुणों, विशेषकर स्वतंत्रता के बाद भारत के विविध राज्यों को एक राष्ट्र में एकीकृत करने की अपनी क्षमता के लिए प्रसिद्ध थे। उनके प्रमुख गुणों में दृढ़ निश्चय, रणनीतिक सोच और राष्ट्रीय एकीकरण के प्रति प्रतिबद्धता शामिल थी।

सरदार वल्लभ भाई पटेल का असली नाम क्या था?

सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी वल्लभभाई पटेल का पूरा नाम वल्लभभाई झावेरभाई पटेल है और उन्हें सरदार पटेल के नाम से भी जाना जाता है।

सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय क्या है?

सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें लौह पुरुष के नाम से भी जाना जाता है, भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। उनका जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता थे और उन्होंने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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